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मठ का परिचय इस प्रकार है।

महामृत्युंजय मठ

महामृत्युंजय मठ (महाकाल लोक फेसेलिटी सेण्टर – २ ) में अत्यंत प्राचीन समय से स्थापित है । जिसको स्वामी अखिलेश्वरानंद ‘ अंगद शरण जी महाराज ‘ एवं ब्रह्मवादिनी माँ अपर्णा श्री भारती जी ने लगातार महामृत्युंजय यज्ञ करते हुए इस महाकाल वन में यज्ञ रूपी तपोभूमि में अत्यंत पवित्र बनाया है । इस प्राचीन मंदिर एवं अमृत झरना (छोटा कुआं) जिसके अथाह जल के द्वारा महाकाल लोक के निर्माण में कभी भी जल संकट नहीं आया यहा सदैव संतनिवास बना रहा तथा सदैव संत सेवा चलती रही है।

मैया श्री दशारानी माता मंदिर

यह मंदिर देश का एक मात्र मंदिर है। सतयुग से लेकर आज तक जिसपर विपत्ति पड़ी, जिसका राज्य हरण हुआ, यश सम्मान समाप्त हुआ है । माता दशा रानी की पूजा करके उसने सर्वस्व पुनः प्राप्त किया है। देवकी मैया कंस की कैद में माता दशा रानी की उपासना करती थी श्री दशा रानी का कलावा गले में धारण किये थी वासुदेव जी मैया का कलावा (गंडा) अपनी बांह में बांधे थे। विपत्ति में माँ भगवती की उपासना ने ही सहयोग किया था।

मार्ग निर्देशक

धार्मिक न्याय एवं सामाजिक शांति के सूत्रधार

इस प्राचीनतम आश्रम का संचालन तथा अनेकानन्य धार्मिक कार्यों में अपना आशीर्वाद प्रदान करने वाले

प्रशंसापत्र

मठ के बारे में आगंतुकों के विचार

मुझे मठ में शांतिपूर्ण और दिव्य वातावरण भरा एक अद्भुत दिन मिला मैंने सुबह-सुबह सर्दियों के समय में दौरा किया और बहुत प्रभावित हुआ।

अच्छा और पवित्र स्थान। हम इस मंदिरों के शहर के दर्शन करके धन्य हो गये । पुनः दर्शन का अवसर मिला तो निश्चित ही करेंगे।

एक बहुत समृद्ध विरासत, पुरानी परंपराएं और भक्तिपूर्ण अनुष्ठानों से भरा हुआ। मठ में कुछ ऐसा है जो प्रवेश करते ही मन को शांत करता है और शांति लाता है।

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