
धार्मिक न्याय एवं सामाजिक शांति के सूत्रधार
धार्मिक न्याय एवं सामाजिक शांति के सूत्रधार मानस सम्राट स्वामी अखिलेश्वरानन्द श्री अंगद शरण जी महाराज उत्तर प्रदेश के गोमती तट सुल्तानपुर में ब्राह्मण कुल में जन्मे स्वामी अंगद जी महाराज ने १४ वर्ष की अवस्था में प्रयागराज के माघ मेले में श्री रामकथा की अद्भुत शैली में खड़े होकर (हनुमंत शैली) में श्री रामकथा सुनाना प्रारम्भ किया सं १९७७ के महाकुम्भ में प्रयाग के विद्वान राजनेता साहित्य मनीषी सभी मंत्रमुग्ध होकर कथा के श्रोता हो चुके थे। सं १९८० में डीएम प्रयागराज श्री भूरेलालजी ने अपनी प्रयाग समीक्षा में लिखा है की प्रयाग की पावन धरती पर दो विद्वानों ने जनता का दिल जीत लिया श्रीमति इंदिरा गाँधी जी एवं श्री अटल बिहारी जी किन्तु १ महीने तक एक मंच पर शायद इतनी जनता उनहे भी नहीं मिलती जो प्रयागराज माघ मेले में स्वामी अंगदजी की श्री राम कथा में रहती है।