कालसर्प दोष निवारण

कालसर्प दोष निवारण

ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कालसर्प दोष को बहुत ही हानिकारक बताया गया है। कालसर्प दोष होने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कोई भी काम आसानी से नहीं होता। धन की हानि होने लगती है। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में 12 प्रकार के काल सर्प दोष बनते हैं।

कालसर्प दोष क्या है ?

जब किसी जातक की कुंडली में राहु और केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं तब कुंडली में कालसर्प दोष बनता है। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में 12 प्रकार के काल सर्प दोष बनते हैं। अनंत कालसर्प योग, कुलिक कालसर्प योग, वासुकी कालसर्प योग, शंखपाल कालसर्प योग, पद्म कालसर्प योग,महापदम कालसर्प योग, तक्षक कालसर्प योग, कर्कोटक कालसर्प योग,शंखनाद कालसर्प योग,पातक कालसर्प योग, विषधर कालसर्प योग, शेषनाग कालसर्प योग।

कालसर्प दोष के संकेत

अगर किसी व्यक्ति के ऊपर कालसर्प दोष है तो उसको लगभग 42 वर्ष के बाद ही सफलता प्राप्ति होती है। कालसर्प दोष होने शत्रुओं की संख्या बढ़ जाती है। सेहत में गिरावट आने लगती है। कालसर्प दोष होने व्यक्ति को बुरे सपने आने लगते हैं जिसमें बार-बार मृत्यु के सपने, सपनों में सांपों का दिखाई देना शुरू हो जाता है। व्यापार में लगातार हानि होने लगती है। विवाह में देर होती है। मानसिक एवं शारीरिक कष्ट बढ़ने लगते हैं। पैतृक संपत्तियां धीरे-धीरे नष्ट होने लगती है। धोखा मिलने की संभावना बढ़ जाती है। बुरे स्वप्न एवं अनिद्रा रोग की समस्या का सामना करना पड़ता है और कोर्ट कचहरी का सामना करना पड़ता है।

कब-कब बनता है कालसर्प योग

जब भी राहु की महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतर्दशा आती है तब कालसर्प योग बनता है। इसके अलावा जब भी गोचर के दौरान राहु अशुभ भाव में चलता है तो काल सर्प योग का निर्माण होता है।

कालसर्प दोष निवारण

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