
रुद्राभिषेक लघु रूद्र एवं रूद्र पूजन
भगवन शिव का आशीर्वाद पाने के लिए लोग उनकी पूजा करते हैं और शिवलिंग पर मंत्रों का जाप करते हुए विशेष वस्तुएं अर्पित करते हैं अर्थार्थ चढ़ाते हैं। इस पूजन विधि जिससे शिवजी की पूजा कर सभी समस्याओं का नाश होता है उसे रुद्राभिषेक कहा जाता है।
रुद्राभिषेक के लाभ
शिव पुराण में रुद्राभिषेक की विधि हेतु सम्पूर्ण सूचि दी गई है जिससे ये पता चलता है की आप जिस उद्देश्य से पूजा कर रहे हैं उसके लिए आपको किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए। यहाँ पर रुद्राभिषेक के १८ लाभ बताये गए हैं जो की नीचे दी गई सूचि में हैं –
जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
धनवृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
पुत्र की कामना वाले व्यक्ति शकर मिश्रित जल से अभिषेक करें। ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।
असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
सहस्रनाम मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है।
पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
गोदुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/ गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
शकर मिले दूध से अभिषेक करने पर जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।